भारत सरकार की ओर से वंदे भारत मिशन जैसे विशेष अभियानों के तहत पिछले पांच वर्षों में लगभग 1.59 करोड़ लोगों का प्रत्यावर्तन सुनिश्चित किया गया है, जिनमें भारतीय नागरिक, ओसीआई कार्डधारक और कुछ विदेशी नागरिक शामिल हैं। केंद्र सरकार के लिए विदेशों में रह रहे भारतीयों की सुरक्षा एक सर्वोच्च प्राथमिकता है और किसी भी प्रकार की खतरे या संघर्ष वाली स्थिति में सरकार अपने नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए विभिन्न उपायों को अपनाती है। विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने 21 अगस्त को राज्यसभा में यह जानकारी दी।
दरअसल संसद सत्र के दौरान कांग्रेस सांसद विवेक के. तन्खा ने विदेश मंत्रालय से पिछले पांच वर्षों के दौरान विदेश में प्रवास करने वाले और बाद में वापस लौटे भारतीयों का वर्षवार रिकॉर्ड मांगा था। उन्होंने वंदे भारत जैसे अभियानों के तहत प्रत्यावर्तन के पैमाने पर भी आंकड़े मांगे थे, जिसका उत्तर देते हुए, राज्य मंत्री सिंह ने स्पष्ट किया कि सरकार व्यापक प्रवासन रिकॉर्ड नहीं रखती है, क्योंकि यात्री अक्सर विदेश में अपने प्रवास या रोज़गार का विवरण नहीं बताते हैं। हालांकि, उन्होंने बताया कि ई-माइग्रेट पोर्टल के माध्यम से 18 अधिसूचित देशों की यात्रा करने वाले उत्प्रवास जांच आवश्यक (ईसीआर) पासपोर्ट रखने वाले भारतीय कामगारों का डेटा उपलब्ध है।
उन्होंने बताया कि इस श्रेणी के अंतर्गत प्रवासन 2020 में 94,145 था, जो 2021 में बढ़कर 1,32,675 हो गया और 2022 में 3,73,426 और 2023 में 3,98,317 हो गया। 2024 में यह घटकर 3,87,067 रह गया जबकि जुलाई 2025 तक प्रवासन 2,56,186 दर्ज किया गया गया है। मंत्री ने आगे बताया कि वंदे भारत मिशन जैसे विशेष अभियानों के तहत प्रत्यावर्तन में लगभग 1.597 करोड़ लोग शामिल हैं, जिनमें भारतीय नागरिक, ओसीआई कार्डधारक और कुछ विदेशी नागरिक शामिल हैं।
भाजपा सांसद बाबूराम निषाद ने भी इसी तरह का एक प्रश्न उठाया, जिसमें विदेशों में विशेष रूप से उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में कानूनी या मानवीय संकटों का सामना कर रहे भारतीयों की सहायता के लिए तंत्र का विवरण मांगा गया था। इसके उत्तर में सिंह ने कहा, ‘‘सरकार के लिए विदेशों में भारतीयों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता बनी हुई है। भारतीय मिशन संघर्ष-प्रवण क्षेत्रों में परामर्श जारी करते हैं, चौबीसों घंटे हेल्पलाइन संचालित करते हैं और आवश्यकता पड़ने पर निकासी अभियान चलाते हैं। संकटग्रस्त भारतीय नागरिक प्रत्यक्ष रूप से, ईमेल, सोशल मीडिया, आपातकालीन फ़ोन लाइनों या ‘मदद’ और ‘सीपीजीआरएएमएस’ जैसे शिकायत पोर्टलों के माध्यम से मिशनों से संपर्क कर सकते हैं। भारतीय समुदाय कल्याण कोष (आईसीडब्ल्यूएफ) के तहत भी सहायता प्रदान की जाती है, जिसका नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक द्वारा नियमित रूप से ऑडिट किया जाता है।’’