जीएसएसई 2025 में भारत के स्टेनलेस स्टील उद्योग ने राष्ट्रीय नीति की मांग की 

भारत के स्टेनलेस स्टील उद्योग ने एक समर्पित राष्ट्रीय स्टेनलेस स्टील नीति की पुरजोर मांग की है, ताकि देश की विनिर्माण क्षमता, नवाचार और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को उसकी पूर्ण संभावनाओं तक पहुँचाया जा सके। यह घोषणा आज मुंबई के बॉम्बे एग्ज़ीबिशन सेंटर में शुरू हुए ग्लोबल स्टेनलेस स्टील एक्सपो 2025 के तीसरे संस्करण में की गई, जिसमें 10,000 से अधिक हितधारकों, उद्योग विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं और वैश्विक प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

भारतीय स्टेनलेस स्टील विकास संघ (ISSDA) के अध्यक्ष राजमणि कृष्णमूर्ति ने उद्घाटन के अवसर पर कहा, “वित्तीय वर्ष 2024-25 में भारत की स्टेनलेस स्टील खपत 4.8 मिलियन टन तक पहुँच गई, जिसमें सालाना 8% की वृद्धि दर्ज हुई है। फिर भी इसका लगभग 30% हिस्सा अभी भी आयात के माध्यम से पूरा किया जा रहा है, जबकि घरेलू उत्पादन क्षमता का पूर्ण उपयोग नहीं हो पा रहा है। हमें ‘मेक इन इंडिया’ को मजबूती देने, नवाचार को प्रोत्साहन देने, और दीर्घकालिक प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने के लिए एक ठोस नीति ढांचे की आवश्यकता है। GSSच से हम फिर एक बार समान अवसर की मांग करते हैं और सरकार से अनुरोध करते हैं कि इस क्षेत्र की रक्षा करते हुए इसे नवाचार के लिए प्रेरित करें।”

जीएसएसई 2025 देश का प्रमुख स्टेनलेस स्टील प्लेटफॉर्म बन चुका है, जहां घरेलू उत्पादन, सतत विकास और स्टेनलेस स्टील को बुनियादी ढांचे, रक्षा, गतिशीलता और अक्षय ऊर्जा जैसी राष्ट्रीय पहलों से जोड़ने पर रणनीतिक चर्चा की जा रही है।

जिंदल स्टेनलेस के अध्यक्ष रतन जिंदल ने कहा, “स्टेनलेस स्टील अब केवल रसोई तक सीमित नहीं है – यह अब भारत के परमाणु ऊर्जा, चिकित्सा, नवीकरणीय ऊर्जा और परिवहन क्षेत्रों को सशक्त बना रहा है। यदि भारत को एक वैश्विक विनिर्माण शक्ति बनना है, तो हमें केवल क्षमता नहीं, बल्कि क्षमता निर्माण में निवेश करना होगा – शोध, नवाचार और हरित निर्माण के माध्यम से।” उन्होंने आगे कहा कि भारत अब दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता और तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक बन चुका है, ऐसे में सरकार को एक समर्पित राष्ट्रीय नीति बनानी चाहिए, जो स्टेनलेस स्टील को बुनियादी ढांचे, रक्षा, अंतरिक्ष और शहरी विकास जैसी प्रमुख योजनाओं में शामिल करे।

जीएसएसई की संयोजक अनीथा रघुनाथ ने इस आयोजन के रणनीतिक महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, “22.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर के तेजी से बढ़ते बाजार के साथ, भारत का स्टेनलेस स्टील उद्योग एक अविराम वृद्धि के रास्ते पर है। GSSE 2025 एक ऐसा मंच है जहां इलेक्ट्रिक वाहन, एयरोस्पेस, नवीकरणीय ऊर्जा और रक्षा क्षेत्र की क्रॉस-सेक्टर नवाचारों की शुरुआत हो रही है। यही वह मंच है जहां स्टेनलेस स्टील का भविष्य आकार ले रहा है,  ब्लू इकोनॉमी से लेकर डिजिटल इंडिया तक।”

जीएसएसई 2025 का आयोजन 4 से 6 जून तक चलेगा, जिसमें अत्याधुनिक नवाचारों, अंतरराष्ट्रीय साझेदारियों और नीति-निर्माण पर चर्चा की जाएगी , उद्देश्य है एक आत्मनिर्भर और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के योग्य स्टेनलेस स्टील पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण।

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