फिल्म जीवन का आईना हो सकती है जीवन नहीं-डॉक्टर रविकला गुप्ता

इस फिल्म की निर्देशिका डॉक्टर रविकला गुप्ता हैं। इनकी शॉर्ट फिल्म ‘सेलिब्रेट लाइफ’ 14 ग्लोबल कैप्टेन ऑफ द शिप’ अवार्ड में सम्मानित हो चुकी है। डॉक्टर रविकला गुप्ता को सेंट्रल क्रिश्चियन यूनिवर्सिटी ऑफ अमेरिका की ओर से डॉक्टरेट की उपाधि देकर सम्मानित किया गया है। डॉ रविकला ने कई शॉर्ट्स फिल्म और विज्ञापन फिल्मों का निर्माण किया है। उन्होंने अपनी निर्देशन कुशलता के कारण काफी वाहवाहियां बटोरी है। उनकी शॉर्ट्स फिल्में सेलिब्रेट लाइफ, अजी सुनते हो, कॉफी आदि है। उन्होंने मार्शल वॉलपेपर, टीवीएस बाइक जैसे कई फेमस ब्रांड्स के एड फिल्मों का भी निर्देशन किया है। फिल्म इंडस्ट्री में उनका आगमन बतौर अभिनेत्री हुआ। उन्होंने अभिनेता मनोज कुमार की टीवी सीरीज “कहाँ गए वो लोग”, भोजपुरी फिल्म “हमार दूल्हा” में अभिनय किया। वह मल्टी टैलेंटेड हैं, इसलिए वह अभिनय के साथ साथ स्टोरी, स्क्रिप्ट और निर्देशन की बारीकियों पर ध्यान देती रहीं फिर उन्होंने अपनी लिखी कहानियों पर निर्देशन करना शुरू किया। इस तरह से वह लेखन और निर्देशन में आ गयी। डॉक्टर रविकला गुप्ता क्लासिकल डांस भरतनाट्यम में विषारद हैं। अभी वह अपने स्क्रिप्ट में काम कर रही हैं और जल्द ही वह इसे कैमरे में भी उतारेंगी। 

इनकी फिल्म टोकन ऑफ ट्रेजर की कहानी कॉमेडी ड्रामा है जो एक मध्यमवर्गीय परिवार के सपनों और दायरों में पिरोयी गई है। डॉक्टर रविकला गुप्ता कहती हैं कि उनको वास्तविक घटनाओं, राजीतिक और सामाजिक थ्रिलर तथा वर्तमान समय में होने वाली घटनाओं पर आधारित फिल्में बनाना अच्छा लगता है। साथ ही साथ वह कहती हैं कि फिल्म मनोरंजन का साधन है, आप हर फिल्म की कथा, संवाद या दृश्य आदि को अपनी वास्तविक जीवन में अपनाने की कोशिश ना करें। मनोरंजन का आनंद लें और खुश रहें। क्योंकि फिल्म जीवन का आईना हो सकती है जीवन नहीं। वर्तमान समय में बन रही फिल्मों के बारे में उनका कहना है कि अभी के समय की फिल्में कहीं ना कहीं युवा पीढ़ी को गुमराह कर रही है। फिल्म के दृश्य, संवाद और कलाकारों की छवि जो पर्दे पर दिखायी जा रही है उनसे युवा दिग्भ्रमित हो रहे हैं। आज हम अधिकतर फिल्मों को टीवी या सिनेमाघरों में अपने परिवार के साथ नहीं देख सकते। आधुनिकता की अंधी दौड़ में आज इंसान मानवता और संस्कार को पीछे छोड़ दिया है। डॉक्टर रविकला गुप्ता ने अपनी पुत्री खुशी गुप्ता को वकालत की पढ़ाई करवाई है और उनकी अभिनय करने की इच्छा का सम्मान करते हुई अपनी फिल्मों में मौका दिया है। उन्होंने बताया कि एक अभिनेता अपनी किरदार की सीमा में बंधा होता है और एक निर्देशक सारे किरदार को जीता है। वह एक ऐसे जहाज का चालक है जिसको बनाने, सजाने और वहाँ कौन क्या काम करेगा, शिप किस दिशा में जाएगी इस सबकी जवाबदेही उसकी होती है।

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